दरिद्र योग एक ज्योतिषीय योग है जो जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि, राहु और केतु की स्थिति विशेष रूप से होती है, तो यह योग बनता है। यह योग व्यक्ति के जीवन में आर्थिक कठिनाइयों, संघर्षों और दुखों का कारण बनता है।
दरिद्र योग बनाने के लिए निम्नलिखित स्थितियाँ होनी चाहिए:
1. शनि और राहु की युति: जब शनि और राहु एक ही भाव में होते हैं, तो यह योग बनता है।
2. केतु की स्थिति: जब केतु शनि और राहु के साथ युति में होता है, तो यह योग और भी मजबूत होता है।
3. लग्न और धन भाव: जब शनि और राहु लग्न या धन भाव में होते हैं, तो यह योग व्यक्ति के जीवन में आर्थिक कठिनाइयों का कारण बनता है।
4. अन्य ग्रहों की स्थिति: जब अन्य ग्रह जैसे कि सूर्य, चंद्र और मंगल शनि और राहु के साथ युति में होते हैं, तो यह योग और भी मजबूत होता है।
दरिद्र योग के दुष्प्रभाव:
1. आर्थिक कठिनाइयाँ: दरिद्र योग व्यक्ति के जीवन में आर्थिक कठिनाइयों का कारण बनता है, जिससे व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में कठिनाई होती है।
2. संघर्ष और दुख: यह योग व्यक्ति के जीवन में संघर्ष और दुख का कारण बनता है, जिससे व्यक्ति को अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
3. स्वास्थ्य समस्याएँ: दरिद्र योग व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिससे व्यक्ति को विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
4. संबंधों में समस्याएँ: यह योग व्यक्ति के संबंधों में भी समस्याएँ पैदा कर सकता है, जिससे व्यक्ति को अपने परिवार और मित्रों के साथ संबंधों में कठिनाई हो सकती है।
जय माता दी ?
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